पूर्व बाल्यावस्था के बौद्धिक विकास दर पर परिवारिक वातावरण का प्रभाव संभल जनपद के 3 से 6 बर्ष के बालकों का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): आसमां खातून, डॉ0 नीलू सिंह
Abstract:
बहुत से प्रत्यक्षीकरण ऐसे होते हैं, जिन्हें बालक सरलता तथा सुगमता से सीख लेता है, उदाहरण के लिए, बालक नारंगी की शक्ल, परिणाम, रंग, स्वाद आदि के विषय में आसानी से जानकारी प्राप्त कर लेता है। परन्तु गतिगामी वस्तुओं की चाल आदि के विषय में पर्व व ठीक प्रत्यक्षीकरण बालक के लिए आसान नहीं होते हैं। उनके लिए प्रत्येक वस्तु की एक-दूसरे से ठीक-ठीक दूरी जानना कठिन होता है। इसके विषय में ठीक व पूर्ण प्रत्यक्षीकरण करने के लिए दीर्घकालीन अनुभव की आवश्यकता पड़ती है। समय के साथ उचित शिक्षा भी आवश्यक होती है। अन्यथा इन वस्तुओं के सम्बन्ध में बालक द्वारा दिया गया उत्तर हमें असत्य ही प्रतीत होगा । प्रत्येक बालक का दूरी सम्बन्ध में अनुमान, अपने-अपने अनुभव के होगा, जिसे उसने अपने वातावरण से ही प्राप्त किया है। इस कारण यदि उसे अन्य अनुसार ही परिस्थितियों में रखा जाय तब उसका ज्ञान गलत सिद्ध होगा, क्योंकि वहाँ वह दूरी इत्यादि का अनुमान अपने ही अनुभव के अनुसार करेगा। वर्तमान अध्ययन मे माता पिता द्वारा बच्चो को समय दिया जाता है। 40% बालक, जिसमे प्राथमिक विद्यालय के 60% मदरसा स्कूल के माता पिता एक घण्टा का समय देते है 2 घण्टा व उससे अधिक भी समय देते है लेकिन 2 घण्टे से अधिक समय नही देते । बच्चे स्वयं पढ़ते है बच्चो पर ज्यादा ध्यान नही देते है।
आसमां खातून, डॉ0 नीलू सिंह. पूर्व बाल्यावस्था के बौद्धिक विकास दर पर परिवारिक वातावरण का प्रभाव संभल जनपद के 3 से 6 बर्ष के बालकों का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Adv Acad Stud 2023;5(11):42-48. DOI: 10.33545/27068919.2023.v5.i11a.1090