समावेशन, सशक्तीकरण एवं खेल: अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन
Author(s): सरिता
Abstract:
इस शोध आलेख में ग्रामीण बालिकाओं के संदर्भ में सामाजिक समावेशन, सशक्तीकरण एवं इसमें खेलों की भूमिका को गहनता से समझने का प्रयास किया गया है। ग्रामीण बालिकाओं की सामाजिक समावेशन की स्थिति कैसी है? ग्रामीण बालिकाओं का खेलों के प्रति क्या दृष्टिकोण है एवं उनकी क्या रूचि हैं? ग्रामीण बालिकाओं को खेलों से संबंधित क्या-क्या सुविधाएँ एवं अवसर उपलब्ध हैं? ग्रामीण बालिकाओं के सामाजिक समावेशन में खेलों की भूमिका कैसी है, सशक्तीकरण को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इत्यादि उद्देश्यों के संबंध में यह शोध कार्य हरियाणा प्रदेश के एक गाँव में किया गया है। इस शोध में गुणात्मक शोध पद्धति को अपनाया गया जिसमें साक्षात्कार एवं अवलोकन का प्रमुख उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इस शोध के प्रमुख निष्कर्ष रहे हैं:- ग्रामीण संदर्भ में बालिकाओं की सामाजिक भागीदारी अत्यंत सीमित है। गाँवों की सामाजिक गतिविधियों में इनकी सहभागिता का स्तर भी चिंताजनक रूप से कम पाया गया। खेलों के प्रति ग्रामीण बालिकाओं का दृष्टिकोण सकारात्मक एवं उत्साहवर्द्धक पाया गया और इनके आदर्श भी अधिकांशतः इन जैसी ही पृष्ठभूमि से पाए गए। ग्रामीण बालिकाओं की खेलों में रूचि भी पाई गई परन्तु खेलों के लिए ग्रामीण संदर्भ में पर्याप्त सुविधाओं एवं अवसरों का तुलनात्मक रूप से अभाव पाया गया। ग्रामीण संदर्भ में बालिकाओं के सामाजिक समावेशन एवं सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में खेलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका देखी गई है। इस प्रकार ग्रामीण संदर्भ में बालिकाओं के सामाजिक समावेशन, सशक्तीकरण एवं उसमें खेलों की भूमिका को समझने का प्रयास किया गया है।