माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों के सांवेगिक बुद्धि तथा समायोजन का उनके सामाजिक विज्ञान में उपलब्धि पर प्रभाव
Author(s): प्रमथ नाथ झा, डॉ. कल्याणी कुमारी
Abstract:
बालक की व्यक्तिगत प्रगति, उसका मानसिक, शारीरिक तथा भावनात्मक विकास शिक्षा के माध्यम से ही प्राप्त किये जा सकते हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। प्राचीन काल में मानव समाज शिक्षा मूल्य जैसे शब्दों से वह अनजान थे कि कैसे एकीकरण की भावना का विकास हुआ समाज की आवश्यकताओं को महसूस किया एवं मूल्यों को महत्वपूर्ण स्थान दिया शिक्षा के पाठ्यक्रम का निर्माण किया तथा मूल्यों को ध्यान में रखकर उसे सर्वोच्च स्थान दिया। वर्तमान शिक्षा प्रणाली सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान पर भी बल देती है, किंतु आज के समय में व्यवहारिक ज्ञान पर ध्यान ना के बराबर दिया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरुप बालकों को किताबी ज्ञान तो प्राप्त हो गया हैं लेकिन इसको जीवन में किस तरह उपयोग में लाना है उसमें सक्षम नहीं हो पा रहे है। यह आलेख इस दृश्य का विश्लेषण करता है कि अनूकलन का छात्रों के जीवन पर कितना प्रभाव है। समायोजन एक अत्यंत आवश्यक मानसीक स्थिति की एक पहलू है जिसमें छात्रों की सांवेगिक बुद्धि समय की मांग के अनुसार अनूकूलन एवं सामंजस्य का अपने व्यवहार में परिवर्तन का वातावरण से सामंजस्य स्थापित करता है।
प्रमथ नाथ झा, डॉ. कल्याणी कुमारी. माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों के सांवेगिक बुद्धि तथा समायोजन का उनके सामाजिक विज्ञान में उपलब्धि पर प्रभाव. Int J Adv Acad Stud 2022;4(2):208-211. DOI: 10.33545/27068919.2022.v4.i2c.886