माध्यमिक स्तर के हिंदी पाठय पुस्तको में लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशीलता का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): रूबी कुमारी, डॉ. रेनू कुमारी
Abstract: लैंगिक संवेदनशीलता व्यक्तियों में एक दूसरे के प्रति हमारी परम्परागत सोच में परानुभूति/ तदनुभूति स्थापित करना है एवं स्वयं एवं विपरीत लिंग के प्रति व्यवहार का परिवर्तन है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लैंगिक संवदेनशीलता से तात्पर्य है कि “महिला-पुरुषों के बेहतर स्वास्थ्य हेतु शोध, नीतियों एवं ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता का निर्माण एवं विकास करना है जो इनके मध्य समानता की भावना को विकसित का सके।” यूनेस्को के अनुसार “लैंगिक संवेदनशीलता के सम्प्रत्यय का विकास महिला एवं पुरुष के मध्य व्यक्तिगत एवं आर्थिक विकास में आने वाली बधाओं को कम करने के मार्ग के रूप में विकसित किया गया है। पाठ्य पुस्तको में लैंगिक समानता लाने तथा महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले प्रसंग व प्रकरण जोड़े जाने के बाद जनमानसिकता व जनमत में काफी परिवर्तन आया है तथा भविष्य में लैंगिक असमता की सोच एवं तदनुसार आचरण पर धीरे-धीरे कभी आएगी। निश्चय ही सामाजिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षा जनमत के निर्माण तथा अच्छे नागरीक की भूमिका निभाने हेतु छात्र-छात्राओं को तैयार करती है। विद्यालयों तथा उच्च शिक्षा की संस्थाओं मे लैंगिक असमानता तथा उसके दुष्परिणामों, महिला में विकास में बाधक तत्व, महिला कल्याण एवं महिला सशक्तिकरण, लैंगिक संवेदनशीलता, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा विषयों को सम्मिलितकर छात्र-छात्राओं में लैंगिक असमानता को दूर करके लैंगिक समानता के भावनाओं का विकास किया जा सकता है। माध्यमिक स्तर के हिंदी पाठ्य-पुस्तकों में कहानियों, गद्य-पाठों व निबंधों, इत्यादी लैंगिक समानता के पाठ्यक्रम विषय को जोड़ कर उन्हें जो शिक्षा की जा रही है इसका छात्र-छात्राओं के जीवन पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है।
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रूबी कुमारी, डॉ. रेनू कुमारी. माध्यमिक स्तर के हिंदी पाठय पुस्तको में लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशीलता का विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Adv Acad Stud 2022;4(1):287-291.