International Journal of Advanced Academic Studies
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2021, Vol. 3, Issue 3, Part D

भारतीय दर्शन में प्रमाण का स्वरूप


Author(s): अभिनन्दन पाण्डेय

Abstract: ज्ञान की प्राप्ति के लिए क्या प्रमाण है? विभिन्न प्रमाणों का विचार भारतीय प्रमाण विज्ञान का एक प्रधान अंग माना गया है। तत्वज्ञान या यथार्थज्ञान को प्रमा कहते है, प्रमा के कारण की (अर्थात् जिसके द्वारा यथार्थ ज्ञान उत्पन्न होता है उसको प्रमाण कहते हैं।) प्रमाणों मंे हम ज्ञान व उसके साधनों का गहन चिन्तन प्राप्त करते है। ज्ञान आत्मा का आगतुक गुण है। आत्मा में ज्ञान तब उत्पन्न होता है जब ज्ञेय के सम्पर्क में आता है ज्ञान अपने विषय को स्वयं प्रकाशित करता है। ज्ञान के साधन की व्याख्या करना प्रमाण विज्ञान का मुख्य उद्देश्य है।

DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i3d.635

Pages: 294-296 | Views: 2792 | Downloads: 2437

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How to cite this article:
अभिनन्दन पाण्डेय. भारतीय दर्शन में प्रमाण का स्वरूप. Int J Adv Acad Stud 2021;3(3):294-296. DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i3d.635
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