Abstract: भारत गांवों का देश है, और अगर हम बेहतर मानव विकास के लिए “हैव्स और हैव्स नौट“ के बीच अंतर को बंद करना चाहते हैं, तो गांवों के विकास पर ध्यान महत्वपूर्ण होगा। मानव विकास रिपोर्ट (एचडीआर) 2014 में, भारत समग्र मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) और लिंग विकास सूचकांक (जीडीआई) दोनों के लिए 135 वें स्थान पर है, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा “मध्यम मानव विकास“ के रूप में वर्गीकृत रेटिंग पर आधारित है। इस पत्र में, ग्राम स्वराज का गांधीवादी दर्शन की संक्षिप्त चर्चा की गई। गाँधीजी ने ग्राम स्वराज को अपनी अवधारणा के रूप में प्रस्तुत किया। आदर्शहीन लोकतंत्र का आदर्श और भारत में कार्य करने के लिए सच्चा लोकतंत्र चाहता था। यह है राजनीति के क्षेत्रों में सत्य और अहिंसा का व्यावहारिक अवतार। ग्राम स्वराज की अवधारणा केवल राजनीतिक नहीं है; यह जीवन के सभी पहलुओं जिनमे सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक हैं, उनको छूता है। यह एक आदर्श अहिंसक सामाजिक व्यवस्था प्रदान करता है, जिसमें महत्वपूर्ण मामलों में आत्मनिर्भर और स्व-शासित गाँव स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं जो गांवों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है।