भारत में आधुनिकीकरण के संदर्भ में शिक्षा की भूमिका
Author(s): डाॅ. अशोक कुमार
Abstract: आधुनिक युग विज्ञान और प्रोद्योगीकी का युग है। इस युग में वैज्ञानिकों ने जो खोजें की हैं, जो आविष्कार किये हैं ओर जो शोध किये हैं, उनसे समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन हुये हैं। उनसे मनुष्य के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में भारी बदलाव आया है। कृषि, उद्योग, व्यापार, संचार, चिकित्सा, शिक्षा आदि जीवन के सभी क्षेत्र इससे प्रभावित हुये हैं। इस परिवर्तन को बदलाव को, प्रगति और विकास को स्पष्ट करने के लिये विद्वानों ने आधुनिकीकरण जैसी अवधारणा का प्रयोग किया है। सामान्यतः आधुनिकीकरण की अवधारणा का प्रयोग समाज में होने वाले परिवर्तनों या उद्योगीकरण के कारण पश्चिमी देशों में आये परिवर्तनों या विकासशील देशों में होने वाले परिवर्तनों को समझने के लिये किया गया है। कुछ विद्वानों ने आधुनिकीकरण को एक प्रक्रिया (Process) माना है तो कुछ ने इसे प्रतिफल (Product) के रूप में स्वीकार किया है। देश के आधुनिकीकरण के लिए वहाँ के सभी सामाजिक वर्गों और ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों के सभी लोगों को शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। भारत में अब तक बहुत से लोग अशिक्षित हैं। पाठशालाएँ ग्रामीण विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा नहीं प्रदान कर रही हैं जिनमें वे लोग अपने ग्रामों में रहकर ही अपनी उत्तम प्रकार से आमदनी कर सकें। वे लोग शहरों की ओर नौकरी, काम-धन्धे के लिए भागते हैं। अधिकतर पाठशालाओं में उत्तम प्रकार की शिक्षा प्रदान नहीं की जाती जो लोगों में बेरोजगारी और निराशा फैलाना स्वाभाविक ही है। अतः सभी लोगों को उत्तम व आधुनिक प्रकार की प्रभावशाली शिक्षा पाठशाली स्तर पर तो अवश्य ही प्रदान की जानी चाहिए तथा उसके बाद योग्य विद्यार्थियों को एक सही प्रकार से तैयार की गयी जनशक्ति आयोजना (Manpower Planning) के अनुसार तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए ताकि उनमें से कोई भी बेरोजगार न रहे और देश की आवश्यकतानुसार सभी आवश्यक कुशलताओं के विशेषज्ञ मिल सकें जो देश के आधुनिकीकरण के विकास में योगदान दे सकें।
Pages: 41-44 | Views: 17580 | Downloads: 17142Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
डाॅ. अशोक कुमार. भारत में आधुनिकीकरण के संदर्भ में शिक्षा की भूमिका. Int J Adv Acad Stud 2020;2(3):41-44.