2025, Vol. 7, Issue 6, Part B
भक्ति आंदोलन में संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का योगदान: वर्तमान में प्रासंगिकता
Author(s): डॉ. सुदेश
Abstract: संत गुरु रविदास जी भारतीय इतिहास में भक्ति आंदोलन के सामाजिक व धार्मिक सुधारवादी विचारधारा में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। 15वीं व 16वीं शताब्दी में संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी की विचारधारा समाज में व्याप्त हो गई थी। भारतीय समाज में इनको रैहदास, रैदास रहिदास, रैदास, रूद्रदास, रोहीतमास व रविदास आदि विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने काव्य में वर्णित किया है कि भगवान की भक्ति करने के लिए कोई भी कार्य ऊंचा या निम्न स्तर का नहीं होता। हम सब भगवान के उतने ही करीब है, जितना कोई मंदिर में या पवित्र स्थान पर जाकर होता है। अपने इसी दृष्टिकोण से उन्होंने एक आदर्श राज्य बनाने का विचार प्रस्तुत किया। इस राज्य को उन्होंने ‘बेगमपुरा अर्थात दुखों से मुक्त’ कहा है। वे रहस्यवादी कवि, समाज सुधारक, भक्ति आंदोलन के आध्यात्मिक व दार्शनिक विचारक रहें। उनकी कार्यशैली की काव्यात्मक शिक्षा, दार्शनिकता-अध्याति्मकता व व्यवहारिकता आदि गुणों के महत्व को इस लेखन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। उनकी काव्यात्मक अभिव्यक्ति वर्तमान में भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उनके समकालीन थी।
शोध की आवश्यकता व उद्देश्य
1. भक्तिआंदोलनमेंगुरुरविदासजीकेयोगदानकोजानना।
2. गुरुरविदासजीकी आध्यात्मिक दार्शनिक सोच पर प्रकाश डालना।
3. गुरु रविदास जी के काव्य में भारतीय संस्कृति की सामाजिक व्यवस्था का अध्ययन करना।
DOI: 10.33545/27068919.2025.v7.i6b.1543Pages: 120-123 | Views: 790 | Downloads: 160Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
डॉ. सुदेश.
भक्ति आंदोलन में संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का योगदान: वर्तमान में प्रासंगिकता. Int J Adv Acad Stud 2025;7(6):120-123. DOI:
10.33545/27068919.2025.v7.i6b.1543