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2025, Vol. 7, Issue 5, Part B


वैश्वीकरण और हिंदी भाषा की प्रासंगिकता: एक समीक्षा लेख


Author(s): पूजा रानी

Abstract: यह शोधपत्र वैश्वीकरण के संदर्भ में हिंदी भाषा की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों, संभावनाओं और उसके बहुआयामी प्रभावों का समग्र मूल्यांकन करता है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने हिंदी भाषा को तकनीकी, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में नई पहचान और मंच प्रदान किया है। डिजिटल युग में हिंदी की उपस्थिति सोशल मीडिया, पत्रकारिता, शिक्षा और सॉफ्टवेयर तक व्यापक रूप से स्थापित हो चुकी है। यह शोध पत्र हिंदी भाषा की वैश्विक प्रासंगिकता, प्रवासी भारतीयों की भूमिका, अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में हिंदी की स्थिति और रोजगार के नए अवसरों पर केंद्रित है। अद्यतन आंकड़ों के विश्लेषण द्वारा यह सिद्ध किया गया है कि हिंदी अब सिर्फ संवाद की भाषा नहीं, बल्कि एक वैश्विक सांस्कृतिक शक्ति के रूप में उभर रही है।

DOI: 10.33545/27068919.2025.v7.i5b.1453

Pages: 79-82 | Views: 141 | Downloads: 33

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International Journal of Advanced Academic Studies
How to cite this article:
पूजा रानी. वैश्वीकरण और हिंदी भाषा की प्रासंगिकता: एक समीक्षा लेख. Int J Adv Acad Stud 2025;7(5):79-82. DOI: 10.33545/27068919.2025.v7.i5b.1453
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