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2025, Vol. 7, Issue 4, Part C


हरियाणा की कला व संस्कृति का स्थापत्य का सम्बन्ध


Author(s): मंजू रानी

Abstract: हरियाणा की कला और संस्कृति का स्थापत्य से गहरा और अभिन्न संबंध है। यहाँ की स्थापत्य कला में प्राचीन काल से ही धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य झलकते हैं। हरियाणा के मंदिर, किले, हवेलियाँ और स्मारक इसकी सांस्कृतिक विरासत के महत्वपूर्ण अंग हैं, जो उस क्षेत्र के इतिहास और परंपराओं को दर्शाते हैं। जैसे, कुरुक्षेत्र के प्राचीन मंदिर और सूरजकुंड के उत्सव स्थल हरियाणा की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का परिचायक हैं। हरियाणा की लोककला, जैसे मूर्तिकला, चित्रकला, और हस्तशिल्प, भी इसके स्थापत्य में समाहित हैं, जो स्थानीय जनजीवन और सांस्कृतिक उत्सवों को जीवंत करते हैं। इसके अतिरिक्त, हरियाणा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की वास्तुकला में पर्यावरण और जलवायु की विशेषताओं का भी ध्यान रखा गया है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है। स्थापत्य कला के माध्यम से यहाँ की सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक संरचनाओं की गहरी समझ मिलती है। आज भी, हरियाणा की कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए स्थापत्य का उपयोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों, मेलों और पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह न केवल परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ता है। इसलिए, हरियाणा की कला व संस्कृति और स्थापत्य के बीच का सम्बन्ध इसे एक समृद्ध और जीवंत सांस्कृतिक विरासत प्रदान करता है।

DOI: 10.33545/27068919.2025.v7.i4c.1482

Pages: 273-278 | Views: 354 | Downloads: 202

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How to cite this article:
मंजू रानी. हरियाणा की कला व संस्कृति का स्थापत्य का सम्बन्ध. Int J Adv Acad Stud 2025;7(4):273-278. DOI: 10.33545/27068919.2025.v7.i4c.1482
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