2025, Vol. 7, Issue 4, Part A
वज्रयान तंत्र साधना तथा सिद्ध परंपरा: भारतीय तांत्रिक परंपरा में योगदान
Author(s): धीरज प्रताप मित्र
Abstract: भारतीय तांत्रिक परंपरा में वज्रयान बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण योगदान रहा है जिसे ‘मंत्रयान’ अथवा ‘गुप्तयान’ के रूप में भी जाना जाता है, जो मुख्यतया तांत्रिक साधना, गुरु परंपरा एवं ध्यान पद्धतियों पर आधारित है। वज्रयान की साधना पद्धतियाँ भारतीय तंत्र परंपरा यथा शैव, शाक्त, नाथ संप्रदाय आदि से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई हैं। प्रस्तुत आलेख में वज्रयान तंत्र साधना तथा भारतीय सिद्ध परंपरा के आपसी अंतर्संबंधों का समाजशास्त्रीय एवं ऐतिहासिक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। वज्रयान तंत्र साधना में मंत्र, मुद्रा, यंत्र, ध्यान का विशेष महत्व होता है जो कि भारतीय तंत्र परंपरा में समान रूप से मौजूद हैं। सिद्धों की परंपरा विशेषतः महासिद्ध सरहपा, विरूपा, लुइपा आदि ने वज्रयान साधना को समृद्ध किया जिनकी शिक्षाएँ सहजयोग, महायोग तथा कुंडलिनी जागरण से सम्बंधित रही हैं। इस आलेख में वज्रयान तंत्र ग्रंथों यथा गुह्यसमाज तंत्र, हीवज्र तंत्र भारतीय तांत्रिक ग्रंथों से प्राप्त तथ्यगत दृष्टि के माध्यम से इन परंपराओं की समानताओं एवं भिन्नताओं को उजागर किया गया है। यह आलेख सिद्ध करता है कि वज्रयान तथा भारतीय तंत्र परंपरा की साधना पद्धतियाँ केवल धार्मिक ही नहीं अपितु मनोवैज्ञानिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी प्रभावी रही हैं। इस आलेख के निष्कर्ष भारतीय तंत्र दर्शन और बौद्ध तांत्रिक परंपरा के अंतर्संबंधों को समझने में सहायक होंगे।
DOI: 10.33545/27068919.2025.v7.i4a.1411Pages: 11-14 | Views: 99 | Downloads: 47Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
धीरज प्रताप मित्र.
वज्रयान तंत्र साधना तथा सिद्ध परंपरा: भारतीय तांत्रिक परंपरा में योगदान. Int J Adv Acad Stud 2025;7(4):11-14. DOI:
10.33545/27068919.2025.v7.i4a.1411