2025, Vol. 7, Issue 10, Part A
सहकारी संघवाद एवं नीति आयोग
Author(s): अवधेश कुमार, श्वेता सिंह
Abstract: भारतीय राजव्यवस्था में संघवाद की सहकारी अवधारणा को मजबूत करने की प्रवृत्ति रही है। राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण एवं क्रियान्वयन में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सहकारी संघवाद एक प्रमुख उपकरण है। नीति आयोग को भारत में सतत् विकास की ओर उन्मुख करने एवं राज्यों के मध्य प्रतिस्पर्धी एवं सहकारी संघवाद की प्रवृत्ति को बनाने हेतु महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा गया है। दक्षता एवं निष्पक्षता के बीच संतुलन बनाने की चुनौती हमेशा ही संघवाद का अहम पक्ष रहा है। भारत में संघीय व्यवस्था के सफल होने में संवैधानिक प्रावधानों के साथ ही, भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र का योगदान भी अनुपम है। नीति आयोग ने राज्यों के माध्यम से सतत् आधार पर अपने प्रयासों से सहयोगात्मक संघवाद को बढ़ावा दिया है, जिसका आधार है कि मजबूत राज्यों से सशक्त राष्ट्र बनते हैं। भारत का संविधान एक सशक्त केन्द्र के साथ संघीय संरचना का प्रावधान करता है। भारत का संविधान ‘फेडरेशन’ शब्द का प्रयोग नहीं करता अपितु संविधान भारत को ‘‘राज्यों का संघ’’ के रूप में वर्णित करता है। जिसका तात्पर्य एकात्मकता के साथ सहकारी संघात्मक स्वरूप बनाये रखना है। संघीय भावना मजबूत करने की दिशा में नीति आयोग की भूमिका एकता के साथ विविधता को स्वीकार करने जैसा है। अनेक बाधाओं और चुनौतियों के बाद भी हम भारत के लोगों एवं यहाँ की राजनीतिक व्यवस्था ने देश को सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने में अतुल्य योगदान दिया है, जिससे भारतीय लोकतंत्र में गाथा प्रगति पथ पर अग्रसर है।
DOI: 10.33545/27068919.2025.v7.i10a.1716Pages: 71-73 | Views: 230 | Downloads: 78Download Full Article: Click Here