2025, Vol. 7, Issue 1, Part A
मुगल काल में कला, स्थापत्य और संस्कृति का विकासः एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण
Author(s): धर्मपाल
Abstract: मुगल काल भारतीय इतिहास का एक समृद्ध और कलात्मक युग रहा है, जिसमें कला, स्थापत्य और संस्कृति का अभूतपूर्व विकास हुआ। यह काल 16वीं से 18वीं शताब्दी तक फैला हुआ था, जब मुगल सम्राटों ने भारत पर शासन किया और उन्होंने फारसी, तुर्की, भारतीय तथा इस्लामी परंपराओं का समन्वय करते हुए एक अनूठी सांस्कृतिक धारा को जन्म दिया। मुगल कला में चित्रकला, संगीत, वस्त्र सज्जा तथा हस्तशिल्प का विशेष स्थान रहा, वहीं स्थापत्य कला में ताजमहल, लाल किला, फतेहपुर सीकरी जैसे भव्य निर्माण इसकी पहचान बने। इस काल की संस्कृति बहुआयामी थी, जिसमें साहित्य, भाषा, खान-पान, वस्त्र परिधान एवं सामाजिक आचार-विचार में विविधता एवं समरसता देखने को मिलती है। इस ऐतिहासिक अध्ययन का उद्देश्य मुगल काल में कला और स्थापत्य के माध्यम से सांस्कृतिक समृद्धि की गहराई से व्याख्या करना है, ताकि यह समझा जा सके कि किस प्रकार मुगल शासन ने भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक धरोहर को एक नई पहचान दी। यह शोध कालक्रम में सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की विशिष्टताओं को उजागर करते हुए उनके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है।
DOI: 10.33545/27068919.2025.v7.i1a.1516Pages: 61-63 | Views: 84 | Downloads: 33Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
धर्मपाल.
मुगल काल में कला, स्थापत्य और संस्कृति का विकासः एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण. Int J Adv Acad Stud 2025;7(1):61-63. DOI:
10.33545/27068919.2025.v7.i1a.1516