Abstract: गरीबी, ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्र में व्याप्त है। योजना आयोग के अनुसार वर्ष 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्र में 25.7 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 13.7 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे है। शहरी गरीबी को आमतौर पर एक सीमांत मुद्दा माना जाता था और विकासशील देशों के नीति-निर्माण एजेंडे में इसे उपेक्षित किया जाता था। शहरी गरीबी के प्रति पूर्वाग्रह मुख्य रूप से इन देशों में प्रचलित ग्रामीण गरीबी के ऐतिहासिक स्तरों के कारण रहा है। यह देखा गया कि शहर में आने वाले गरीब लोगों के एक समूह ने निर्मित क्षेत्रों के साथ-साथ अस्थिर अथवा खुले क्षेत्रों में, रेलवे लाइन के किनारे, सड़कों, खुले स्थान और बाजार क्षेत्रों आदि में नगरपालिका सीमा में और उसके आसपास एक नए प्रकार की बस्ती का निर्माण किया। मलिन बस्तियों की अवस्थिति के लिए कई कारकों को जिम्मेदार पाया गया। गरीबी की पहचान और माप महत्वपूर्ण हैं, यह अपने आप में एक अंत नहीं है। गरीबी की प्रकृति को और समझने के लिए इन पहलुओं से परे देखना भी महत्वपूर्ण है ताकि हम गरीबी कम करने के लिए अधिक प्रभावी कार्यक्रम बनाने के करीब आ सकें।