2024, Vol. 6, Issue 3, Part A
हिंदी उपन्यासों में प्रेम और यौन संबंधों की पीड़ाः एक गहन विवेचना
Author(s): डाॅ. किरण
Abstract: यह शोध-पत्र आधुनिक और पारंपरिक छत्तीसगढ़ी महिला आत्मकथाओं में प्रेम और विवाह संबंधों की भूमिका एवं उनसे जुड़ी चुनौतियों का बहुआयामी विश्लेषण प्रस्तुत करता है। अध्ययन में पाया गया कि छत्तीसगढ़ी महिला आत्मकथाएँ केवल व्यक्तिगत भावनाओं या मानसिक द्वंद्व तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि वे सामाजिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक और आर्थिक संरचनाओं के भीतर गहराई से उलझी हुई हैं। प्रेम और विवाह के संदर्भ में आत्मकथाओं की स्त्री पात्रों को कभी प्रेम में असफलता, कभी दांपत्य में उत्पीड़न, तो कभी सामाजिक असमानता और पारिवारिक विरोध का सामना करना पड़ता है। सामाजिक बदलावों, शिक्षा, स्वतंत्रता आंदोलन और आधुनिकता के प्रभाव से इन आत्मकथाओं में स्त्री चेतना, स्वतंत्रता की आकांक्षा तथा रिश्तों की पुनर्परिभाषा स्पष्ट दिखती है। लेख में यह भी विश्लेषित किया गया है कि विवाह संस्था, पारिवारिक मान्यताएँ, जातीय और धार्मिक पूर्वग्रह, तथा सामाजिक वर्जनाएँ स्त्री जीवन में किस प्रकार अवरोध उत्पन्न करती हैं और किस प्रकार प्रेम एवं विवाह के अनुभव उसे सामाजिक विद्रोह, आत्मसंघर्ष और पहचान की खोज की ओर प्रेरित करते हैं। अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि छत्तीसगढ़ी आत्मकथाएँ, प्रेम और विवाह से उत्पन्न मानसिक-सामाजिक द्वंद्व को केवल दुःख या असफलता के रूप में नहीं, बल्कि एक व्यापक सांस्कृतिक विमर्श, आत्मबोध, और सामाजिक परिवर्तन के सशक्त माध्यम के रूप में प्रस्तुत करती हैं। इस प्रकार, यह शोध छत्तीसगढ़ी महिला आत्मकथाओं में प्रेम और विवाह की बहुआयामी भूमिका को उजागर करता है, जिससे क्षेत्रीय साहित्यिक परंपरा, स्त्री विमर्श और समाजशास्त्रीय विश्लेषण को नई दृष्टि मिलती है।
DOI: 10.33545/27068919.2024.v6.i3a.1494Pages: 53-56 | Views: 106 | Downloads: 29Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
डाॅ. किरण.
हिंदी उपन्यासों में प्रेम और यौन संबंधों की पीड़ाः एक गहन विवेचना. Int J Adv Acad Stud 2024;6(3):53-56. DOI:
10.33545/27068919.2024.v6.i3a.1494