2024, Vol. 6, Issue 12, Part B
भारतीय कला और वास्तुकला प्राचीन काल में विकास
Author(s): किशोर शिवलाल पाटील
Abstract: भारतीय कला और वास्तुकला का प्राचीन काल में विकास भारतीय सभ्यता के सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम था। इस विकास ने न केवल शिल्पकला और वास्तुकला के तकनीकी पहलुओं को निखारा, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक विचारों को भी संरक्षित किया। प्राचीन भारतीय वास्तुकला में विशेष रूप से मंदिरों, स्तूपों, गुफाओं और महलों का निर्माण किया गया, जो शासकों की शक्ति, समाज के धार्मिक विश्वासों और सांस्कृतिक पहचान को प्रदर्शित करते थे। इन संरचनाओं में चित्रकला, मूर्तिकला और भित्तिचित्रों के माध्यम से धार्मिक और दार्शनिक संदेश दिए जाते थे। इसके साथ ही, भारतीय स्थापत्य में खगोलशास्त्र और गणित का भी समावेश था, जिससे वास्तुकला में विशिष्टता और संतुलन पाया जाता था। इस प्रकार, भारतीय कला और वास्तुकला का विकास न केवल स्थापत्य के रूप में, बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण था।
DOI: 10.33545/27068919.2024.v6.i12b.1522Pages: 84-89 | Views: 69 | Downloads: 21Download Full Article: Click Here