2024, Vol. 6, Issue 12, Part A
उपन्यास ‘शीर्षक’ में विक्रमपुर के दंगों का यथार्थ चित्रण
Author(s): पवन कुमार ठाकुर
Abstract: चन्द्रकिशोर जायसवाल द्वारा रचित ‘शीर्षक’ उपन्यास साम्प्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि में लिखा गया एक अत्यंत मार्मिक और यथार्थपरक रचना है। इसका केंद्र ‘विक्रमपुर’ है जहाँ रामनवमी के अवसर पर निकले हिन्दू जुलूस और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव के कारण एक भीषण दंगा भड़क उठता है। दंगे की इस भयावह परिस्थिति में खुर्शीद साहब हिन्दू छात्रों की रक्षा के लिए आगे आते हैं और उन्हें संकट से निकालने में सहारा बनते हैं। ‘शीर्षक’ उपन्यास में लेखक ने दंगों की भयावहता, धार्मिक तनाव और आमजन की पीड़ा को अत्यंत मार्मिक चित्रित किया है। दंगों में महिलाओं की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। कुछ महिलाएं तो आत्महत्या करने पर मजबूर हो गयी, एक गर्भवती महिला तो अपने अजन्मे बच्चे की रक्षा के लिए संघर्ष करती है लेकिन वे पत्थरों की मार से मारी जाती हैं। यह दृश्य साम्प्रदायिक हिंसा की अमानवीयता को उजागर करता है। लेखक ने पुलिस, प्रशासन, नेताओं, सरकार और गुंडों की मिलीभगत पर भी गहरी चोट की है। दंगों के बाद शहर में अधजले मकान, खून के छींटे, राहत शिविरों में शरणार्थियों का दर्द और समाज में व्याप्त भय का यथार्थ परक चित्रण मिलता है। यह उपन्यास केवल एक दंगे की कहानी नहीं है, बल्कि यह साम्प्रदायिकता के कारण टूटते सामाजिक ताने-बाने, मानवता की कराह, और सत्तात्मक ढांचे की क्रूर सच्चाइयों का दस्तावेज़ है। यह उपन्यास पाठकों को यह सोचने पर विवश करता है कि धर्म, राजनीति और सत्ता की साजिशों में आम जन किस प्रकार पिसता है और किस प्रकार इंसानियत की जगह नफ़रत ले लेती है।
DOI: 10.33545/27068919.2024.v6.i12a.1631Pages: 47-49 | Views: 662 | Downloads: 77Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
पवन कुमार ठाकुर.
उपन्यास ‘शीर्षक’ में विक्रमपुर के दंगों का यथार्थ चित्रण. Int J Adv Acad Stud 2024;6(12):47-49. DOI:
10.33545/27068919.2024.v6.i12a.1631