Red Paper
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2024, Vol. 6, Issue 11, Part B


वात्स्यायन-पूर्ववर्तिनी कामशास्त्रीय परम्परा


Author(s): Anand Kumar and Bikram Badyakar

Abstract: भारतीय परम्परा में जब भी कामशास्त्र की चर्चा होती है, तो स्वाभाविकरूप से सर्वप्रथम महर्षि वात्स्यायन प्रणीत कामसूत्र का स्मरण होता है। लिखित रूप में कामशास्त्र की परम्परा के आद्याचार्य महर्षि वात्स्यायन ही माने जाते हैं। उनके पश्चात् जितने भी कामशास्त्रीय ग्रंथ लिखे गए, उनमें कामसूत्र का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है। यद्यपि वात्स्यायन से पूर्व भी भारतीय संस्कृति में कामशास्त्र की एक सुदीर्घ परम्परा विद्यमान थी, जिसका उल्लेख स्वयं वात्स्यायन ने अपने ग्रंथ में किया है। उन्होंने पूर्ववर्ती आचार्यों के कार्यों का संकलन एवं संशोधन कर कामसूत्र की रचना की। कुछ आधुनिक कामशास्त्रीय विद्वानों ने वात्स्यायन द्वारा उल्लिखित परंपरा से भिन्न एक और परंपरा का उल्लेख किया है, जिसमें कुछ अन्य ग्रंथों का उल्लेख मिलता है। इनमें से दो-तीन प्रमुख ग्रंथ विशेष रूप से सामने आए हैं। इस शोधपत्र में कामशास्त्र की प्राचीन परंपरा, वात्स्यायन से पूर्व के आचार्य तथा आधुनिक विद्वानों द्वारा प्रस्तावित वैकल्पिक परंपरा का विश्लेषण किया जाएगा। साथ ही, इस सम्बन्ध में कुछ आधुनिक कामशास्त्रीय गवेषकों द्वारा प्रतिपादित धारणाओं का तर्कसंगत खंडन भी प्रस्तुत किया जाएगा।

DOI: 10.33545/27068919.2024.v6.i11b.1727

Pages: 122-126 | Views: 101 | Downloads: 51

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How to cite this article:
Anand Kumar, Bikram Badyakar. वात्स्यायन-पूर्ववर्तिनी कामशास्त्रीय परम्परा. Int J Adv Acad Stud 2024;6(11):122-126. DOI: 10.33545/27068919.2024.v6.i11b.1727
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