2024, Vol. 6, Issue 1, Part A
संस्कारों में धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व
Author(s): प्रगति झा
Abstract: भारतीय संस्कृति में संस्कार और धार्मिक अनुष्ठान अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं। संस्कार जीवन के प्रत्येक चरण को अनुशासित और पवित्र बनाने का साधन हैं, जबकि धार्मिक अनुष्ठान इन संस्कारों को पूर्णता प्रदान करते हैं। वैदिक काल से लेकर आधुनिक समय तक धार्मिक अनुष्ठान संस्कारों की आत्मा माने गए हैं। चाहे जन्म हो, शिक्षा का आरंभ हो, विवाह हो या मृत्यु, प्रत्येक संस्कार धार्मिक अनुष्ठानों के साथ ही संपन्न होता है। यह शोधपत्र संस्कारों में धार्मिक अनुष्ठानों की अनिवार्यता और महत्व का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इसमें यह विवेचना की गई है कि वैदिक मंत्रोच्चार, यज्ञ, हवन, आहुति, संकल्प और आशीर्वाद जैसे अनुष्ठान संस्कारों को कैसे सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक आयाम प्रदान करते हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि धार्मिक अनुष्ठानों ने समाज में एकता, सामूहिक चेतना और सांस्कृतिक निरंतरता को कैसे बनाए रखा। अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि धार्मिक अनुष्ठान केवल कर्मकांड नहीं हैं, बल्कि वे संस्कारों की आत्मा हैं। इनके बिना संस्कार अधूरे और निरर्थक हो जाते हैं। अनुष्ठान व्यक्ति को धर्म और संस्कृति से जोड़ते हैं, परिवार और समाज को एक सूत्र में बाँधते हैं तथा मानव जीवन को गहरी आध्यात्मिकता और अनुशासन प्रदान करते हैं। इस प्रकार संस्कारों में धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व केवल धार्मिक या आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है।
DOI: 10.33545/27068919.2024.v6.i1a.1744Pages: 113-116 | Views: 122 | Downloads: 67Download Full Article: Click Here