2024, Vol. 6, Issue 1, Part A
माध्यमिक स्तर के अध्ययनरत विद्यार्थियों की मानसिक थकान पर योग के प्रभाव का अध्ययन
Author(s): अरुण कुमार, डॉ. आशुतोष त्रिपाठी
Abstract: वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में विद्यार्थियों को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ज्यादा से ज्यादा मानसिक श्रम की आवश्यकता होती है | विद्यार्थी वर्ष भर शैक्षणिक कार्यो के अत्यधिक बोझ से लादे होते है, जससे वे मानसिक दबाव, तनाव एवं संघर्ष से घिर जाते है परिणामस्वरूप जल्दी ही मानसिक थकान का अनुभव करते है | बेहतर शैक्षणिक निष्पत्ति के लिए एकाग्रता, स्मृति, लगातार लम्बे समय तक अध्ययनरत रहना एवं अच्छी ग्रहणशीलता की आवश्यकता होती है | इन क्रियाओं को बढ़ाने के लिए तंत्रिकाओं का तेज गति के साथ, लंबे समय तक कार्य करना आवश्यक होता है | जब व्यक्ति मानसिक कार्य करता है तो उसकी नाड़ी तंत्र की कोशिकाओं में कुछ शारीरिक और रासायनिक परिवर्तन होते है साथ ही साथ ग्लाईकोजन का व्यय होता है | फलस्वरूप इस प्रकार की थकान का अनुभव व्यक्ति को मस्तिष्क के उच्च केन्द्रों में होता है | सरल शब्दों में तंत्रिका कोशिकाओं के कार्यरत रहने में ग्लाईकोजन का व्यय और थकान के कारण विषाक्त पदार्थ बनते है | इन विषाक्त पदार्थों का संचय तंत्रिका कोशिकाओं के जोड़ों पर होता है जिससे नाड़ी का आवेग अवरुद्ध हो जाता है और व्यक्ति थकान का अनुभव करता है | विभिन्न शोध अध्ययनों में पाया गया कि योग की विभिन्न क्रियायें जैसे प्राणायाम, ओंकार जाप, सूर्यनमस्कार, योगनिद्रा आदि विद्यार्थियों में एकाग्रता, ग्रहणशीलता, स्मृति को बढ़ाने में प्रभावी पाए गए है | प्रस्तुत शोध में मानसिक थकान पर योग के प्रभाव का अध्ययन किया है | अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि योग का मानसिक थकान पर पढ़ता है या नहीं |
DOI: 10.33545/27068919.2024.v6.i1a.1098Pages: 29-33 | Views: 410 | Downloads: 165Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
अरुण कुमार, डॉ. आशुतोष त्रिपाठी.
माध्यमिक स्तर के अध्ययनरत विद्यार्थियों की मानसिक थकान पर योग के प्रभाव का अध्ययन. Int J Adv Acad Stud 2024;6(1):29-33. DOI:
10.33545/27068919.2024.v6.i1a.1098