2023, Vol. 5, Issue 4, Part A
आधुनिक भारत के विकास में स्वामी विवेकानंद के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भूमिका
Author(s): Kirti Kumari and Rathod Duryodhan Devisingh
Abstract: स्वामी विवेकानंद का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद आधुनिक भारत के लिए प्रेरक और मार्गदर्शक दृष्टि प्रस्तुत करता है। उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि भारत की आत्मा उसकी संस्कृति और अध्यात्म में निहित है, जो वेदांत और अद्वैत दर्शन पर आधारित है। उन्नीसवीं शताब्दी के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संकटों के बीच विवेकानंद ने आत्मगौरव, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया। उनका राष्ट्रवाद केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित न होकर सामाजिक सुधार, महिला शिक्षा, अस्पृश्यता उन्मूलन और युवा शक्ति के जागरण पर केंद्रित था। उन्होंने शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का मूल साधन माना और भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता को विश्व पटल पर स्थापित किया। आज के भारत में, जहां वैश्वीकरण, सांस्कृतिक विघटन और नैतिक संकट जैसी चुनौतियाँ हैं, विवेकानंद का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हुए आधुनिकता की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। उनकी दृष्टि भारत को सशक्त, समरस और आत्मविश्वासी राष्ट्र बनाने की दिशा में आज भी प्रासंगिक है।
DOI: 10.33545/27068919.2023.v5.i4a.1702Pages: 88-91 | Views: 377 | Downloads: 148Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
Kirti Kumari, Rathod Duryodhan Devisingh.
आधुनिक भारत के विकास में स्वामी विवेकानंद के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भूमिका. Int J Adv Acad Stud 2023;5(4):88-91. DOI:
10.33545/27068919.2023.v5.i4a.1702