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2023, Vol. 5, Issue 3, Part A


सल्तनतकालीन न्याय व्यवस्था


Author(s): Dr. Meenu Nain

Abstract: इस शोध पत्र के द्वारा सल्तनत काल की न्याय व्यवस्था को समझने की कोशिश की गई है। इसमें मुस्लिम शासकों द्वारा न्यायिक प्रशासन के लिए जो ढाँचा तैयार किया गया था उसका वर्णन किया गया है। इस्लामिक कानूनों के स्त्रोतों को जानने की कोशिश की जाएगी, जिससे उनकी प्रकृति को समझा जा सके। उस समय कितने प्रकार के कानून अस्तित्व में थे, यह जानने की कोशिश की जाएगी। न्याय व्यवस्था को जानने के लिए न्यायालयों की व्यवस्था को जानना बहुत जरूरी है। न्यायालयों की कार्यविधि, न्यायाधीशों की नियुक्ति उनके क्षेत्राधिकार उनकी कार्यप्रणाली, न्यायाधीशों के अतिरिक्त अधिकारी आदि का वर्णन किया गया है। न्यायिक सुधारों का काम कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरू हुआ जिसे आगे आने वाले सुल्तानों ने जारी रखा। सुल्तान न्यायिक व्यवस्था में अधिक हस्तक्षेप नहीं करते थे। अध्ययन से पता चलता है कि सुल्तान, न्याय का शासन स्थापित करने में विष्वास रखते थे। सभी न्यायिक अधिकारियों के कार्य, उनके अधिकार और शक्तियाँ हर स्तर पर एक जैसी थी जिनको देखकर लगता है कि सुल्तान निरकुश होने के बावजूद भी न्यायिक मामलों में सभी निर्णय स्वयं न करके मुफ्ती तथा काजियों की मदद लेते थे।

DOI: 10.33545/27068919.2023.v5.i3a.940

Pages: 06-09 | Views: 478 | Downloads: 148

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How to cite this article:
Dr. Meenu Nain. सल्तनतकालीन न्याय व्यवस्था. Int J Adv Acad Stud 2023;5(3):06-09. DOI: 10.33545/27068919.2023.v5.i3a.940
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