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2023, Vol. 5, Issue 12, Part A


सह अस्तित्वः एक दार्शनिक विश्लेषण


Author(s): डाॅ0 रामकुमार सिंह

Abstract: विश्व में कोई भी वस्तु न तो सर्वथा स्वायत्र है और न ही पूर्णतः निरपेक्ष। जड़ व चेतन, वैचारिक व भौतिक में सर्वत्र एक पारस्परिक अन्तर्निभरता विद्यमान है। जगत वस्तुओं का विशृंखल समुच्चय नही बल्कि विविधता में एकता समाहित किये हुए एक सुसम्बद्ध (Systematic) इकाई है। इसी सुसम्बद्धता में ही सह-अस्तित्व के बीज विद्यमान है। इसका तात्पर्य यह है कि अस्तित्व का वैविध्य व वैविध्य का अस्तित्व दोनों अन्योन्याश्रय सम्बन्ध की नीव पर खड़े हैं। स्पष्टतः सह अस्तित्व सह-सम्बद्ध अस्तित्व है।

DOI: 10.33545/27068919.2023.v5.i12a.1089

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डाॅ0 रामकुमार सिंह. सह अस्तित्वः एक दार्शनिक विश्लेषण. Int J Adv Acad Stud 2023;5(12):38-39. DOI: 10.33545/27068919.2023.v5.i12a.1089
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