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2022, Vol. 4, Issue 1, Part E


पत्ताखोर : नशाखोरी की अभिशप्ति


Author(s): प्रियंका कुमारी

Abstract: मधु कॉंकरिया रचित उपन्‍यास ‘पत्ताखोर’ सच में नशाखोरी के अभिशाप को पाठकों के सामने लाता है। उपन्‍यास का नायक जोकि एक सभ्‍य और शिक्षित परिवार का बालक है, वह अपनी बुरी संगति के कारण नशाखोर हो जाता है। आरंभ में जिस नशा को वह शौकिया तौर पर लेता है, वही नशा बाद में मजबूरी बन जाती है। वही नशा उसे जीवन बचाने के लिए चाहिए। कथानायक की इस दुर्दशा के लिए कई चीजे जिम्‍मेदार हैं– जैसे- माता-पिता, की व्‍यस्‍तता, शिक्षा व्‍यवस्‍था, सामाजिक संस्‍कार, एकाकीपन, कुसंगति आदि। आखिरकार नशाखोरी एक ऐसा अभिशाप है जो धन, धर्म और स्‍वास्‍थ्‍य सब चौपट कर डालता है। उपन्‍यास में कथानायक के बहाने इसकी परिणति देखी जा सकती है।

DOI: 10.33545/27068919.2022.v4.i1e.828

Pages: 367-370 | Views: 2858 | Downloads: 2406

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प्रियंका कुमारी. पत्ताखोर : नशाखोरी की अभिशप्ति. Int J Adv Acad Stud 2022;4(1):367-370. DOI: 10.33545/27068919.2022.v4.i1e.828
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