Red Paper
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2022, Vol. 4, Issue 1, Part E


आधुनिक भारत में स्वामी विवेकानंद का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद: एक अध्ययन


Author(s): Kirti Kumari and Rathod Duryodhan Devisingh

Abstract:
स्वामी विवेकानंद का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद आधुनिक भारत की राष्ट्रीय चेतना का प्राणतत्व है, जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और मानवता की सेवा को राष्ट्रनिर्माण का आधार माना । 19वीं शताब्दी के औपनिवेशिक परिप्रेक्ष्य में जब भारतीय समाज सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संकटों से गुजर रहा था, तब विवेकानंद ने वेदांत और भारतीय आध्यात्मिक परंपरा को नए रूप में प्रस्तुत कर भारत को आत्मविश्वास और आत्मगौरव का संदेश दिया । उनके विचारों में राष्ट्र केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं था, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण, शिक्षा का प्रसार, सामाजिक समरसता और युवाओं की सक्रिय भागीदारी से निर्मित एक समग्र दृष्टि थी । उन्होंने सेवा, संगठन और आत्मबल को राष्ट्रीय उत्थान के प्रमुख साधन माना । स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज के भारत तक, उनके विचारों ने राष्ट्रीय चेतना को निरंतर दिशा प्रदान की है । वैश्वीकरण और सांस्कृतिक चुनौतियों के वर्तमान समय में विवेकानंद का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद भारत की मौलिक पहचान और एकता का सशक्त मार्गदर्शक सिद्ध होता है ।


DOI: 10.33545/27068919.2022.v4.i1e.1703

Pages: 401-404 | Views: 241 | Downloads: 85

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How to cite this article:
Kirti Kumari, Rathod Duryodhan Devisingh. आधुनिक भारत में स्वामी विवेकानंद का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद: एक अध्ययन. Int J Adv Acad Stud 2022;4(1):401-404. DOI: 10.33545/27068919.2022.v4.i1e.1703
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