कोई भी देश या समाज कितना विकसित होगा, यह सीधा-सीधा टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। टेक्नोलॉजी मानव-मस्तिष्क की उपज है। मानव-सभ्यता के विकास के साथ-साथ टेक्नोलॉजी का निरन्तर विकास हुआ है। मानव जीवन और टेक्नोलॉजी एक-दूसरे के पूरक हैं। समाज का विकास टेक्नोलॉजी पर निर्भर है। हम टेक्नोलॉजी का उपयोग दैनिक जीवन में अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में करते हैं जैसे- आवागमन, संचार, चिकित्सा, शोध, ज्ञानार्जन, कारोबार में तथा जीवन को आसान बनाने में। आधुनिक समय में टेक्नोलॉजी के बिना जीवन की कल्पना करना भी आसान नहीं है। मानव समाज के लिए पहिया बेहद महत्वपूर्ण आविष्कार था। इसके सबूत 3500 ईसा पूर्व के हैं, जो प्राचीन मेसोपोटामिया सभ्यता में देखे गये थे। आज पूरा विश्व पहिए पर घूम रहा है। इसी कड़ी में 1844 में चार्ल्स गुडईयर ने वल्कनीकृत रबड़ का आविष्कार किया, जिसने टायर उद्योग की दशा बदल दी। कम्प्यूटर और इन्टरनेट आने के बाद मानव जीवन में अचानक बदलाव आ गया है। इनकी वजह से काम आसानी से होने लग गये हैं। आधुनिक काल में कम्प्यूटर की पाँचवी पीढी काम में आ रही है, जिसमें आर्टीफिसियल इंटेलिजेंस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। मिस्र के पिरामिड से लेकर दुबई की बुर्ज खलीफा तक लगातार टेक्नोलॉजी का विकास हुआ है। साहित्य और समाज पर टेक्नोलॉजी का गहरा प्रभाव है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
डॉ. देवी प्रसाद, श्री संजय कुमार. साहित्य और समाज पर टेक्नोलॉजी का प्रभाव. Int J Adv Acad Stud 2021;3(4):263-266. DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i4c.1006