International Journal of Advanced Academic Studies
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2021, Vol. 3, Issue 3, Part C

‘‘कृषि एवं ग्रामीण विकास में शिक्षा की भूमिका‘‘


Author(s): सुजाता चारण

Abstract: शिक्षा समाज का दर्पण है। यह मनुष्य को अज्ञानता से आत्मज्ञान में बदल देता है। 1964 में यूनेस्को के सम्मेलन ने माना की ‘‘अशिक्षा सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए एक गंभीर बाधा है।‘‘ भारत की ज्यादातर आबादी गाँवो में बसती है और इनकी आजीविका का मुख्य स्त्रोत कृषि है। शिक्षा कृषि एवं ग्रामीण विकास दोनो में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में आज भी लगभग आधे गाँवो की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति बेहद कमजोर है। यहां पर शिक्षा की अगर बात करे तो ‘शिक्षा की वार्षिक रिपोर्ट‘ नाम के सर्वे से पता चलता है कि भले ही ग्रामीण छात्रों के स्कूल जाने की संख्या बढ़ रही हो पर इनमें से आधे से ज्यादा छात्र दूसरी कक्षा तक की किताब पढ़ने में असमर्थ है। अर्थात यहां पर ग्रामीण विकास के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना जरूरी है। उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओडिसा और भी अन्य राज्यों के प्रत्येक गाँव में आज भी स्कूल नहीं है। इसके चलते माता-पिता बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते है जिससे भी ग्रामीण शिक्षा विफल रही है। ग्रामीण विकास आमतौर पर अपेक्षाकृत पृथक और कम आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगो के जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक कल्याण में सुधार की प्रकियां को संदर्भित करता है। ग्रामीण विकास में आधारभूत सुविधाएं जैसे स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं, सड़क, पेयजल, विद्युतीकरण आदि सम्मिलित है। जिसमें शिक्षा भी एक है जिससे गांवो के लोग इन सब सुविधाओं के प्रति जागरूक होंगे। आजादी के बाद देश के कृषि परिदृश्य में भी काफी बदलाव आये है। चाहे वह उत्पादकता हो या फिर कृषि सम्बन्धित उच्च शिक्षण के अवसर। कृषि विकास की बात करे तो इसमें कृषि उत्पादकता बढ़ाना, लघु एवं कुटीर उद्योगो को बढ़ावा देना, उन्नत बीज एवं खाद उपलब्द्ध कराना, ऋण एवं सब्सिडी के माध्यम से उत्पादन संसाधन उपलब्द्ध कराना आदि सम्मिलित है। कृषि विकास में भी शिक्षा की अहम भूमिका होती है जैसे कृषि विकास के क्षेत्र में कई कृषि विश्वविद्यालयों ने अहम भूमिका निभाई है। कृषि क्षेत्र में इनके समन्वित प्रयासों के फलस्वरूप ही आज हम खाद्यान उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो सके है। कृषि में शिक्षा के फलस्वरूप ही हमने उत्पादन को लक्ष्य मानकर अधिक उत्पादन की उन्नत तकनीक, उन्नत बीज, रासायनिक ऊर्वरक, पौध संरक्षण तकनीकी एवं सिंचाई की विधियां विकसित की है। और इन सभी तकनीको के प्रभाव से ही हमने उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। साथ ही समग्र ग्रामीण एवं कृषि विकास हेतु समय - समय पर किसानो को कृषि संबंधि उत्पादो, मशीनरी, अनुसंधान, उन्नत किस्मों तथा कृषि के साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, रेशम पालन आदि की जानकारी भी दी जाती है। इस प्रकार यह सब शिक्षा के द्वारा ही संभव हो पाया है क्योंकि लोग शिक्षित होगें तो इन बातो से जागरूक होगें जिससे ग्रामीण और कृषि विकास को बढ़ावा मिलेगा।

DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i3c.602

Pages: 212-213 | Views: 1415 | Downloads: 214

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How to cite this article:
सुजाता चारण. ‘‘कृषि एवं ग्रामीण विकास में शिक्षा की भूमिका‘‘. Int J Adv Acad Stud 2021;3(3):212-213. DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i3c.602
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