सीधी जिले में अनुसूचित जनजातियों का धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन
Author(s): मनोज कुमार रावत, डाॅ. एस.एम. मिश्रा
Abstract: भारतीय जनजातियों में सामाजिक गतिशीलता, सामाजिक स्तरीयकरण में तेजी से परिवर्तन हुआ है, पहले सामाजिक गतिशीलता का मुख्य आधार प्रदत्त परिस्थिति ही थी किंतु अब जनजातियों द्वारा अर्जित गुणों जैसे-विभिन्न पदों में शासकीय/अर्द्धशासकीय निजी संस्थानों में सेवायें, शिक्षा, दक्षता, प्रशिक्षण, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक परिवर्तन, धन अर्जन आदि के आधार पर भी दृष्टिगोचर हुआ है। यद्यपि बाह्य सम्पर्क एवं आधुनिकीकरण के प्रभाव के फलस्वरूप जनजातियों की सामाजिक संरचना और संस्कृति में अनेक प्रकार की गतिशीलता एवं परिवर्तन देखने को मिले हैं। जैसे बिहार राज्य के प्रसार एवं भुइया, पालामत्र की पहाड़ी, घेनाज और जलपाईगुड़ी के कूज, बिहार के पोलिया, उत्तरप्रदेश की थाक, छोटा नागपुर के पठार की सन्थाल मुण्डा और कोल बघेलखण्ड पठार अन्तर्गत मध्यप्रदेश के सीधी जिले में गोड़, पनिका, कोल आदि जनजातियों में सामाजिक गतिशीलता की स्थिति पाई गई है।
DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i2c.556Pages: 181-185 | Views: 1405 | Downloads: 905Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
मनोज कुमार रावत, डाॅ. एस.एम. मिश्रा.
सीधी जिले में अनुसूचित जनजातियों का धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन. Int J Adv Acad Stud 2021;3(2):181-185. DOI:
10.33545/27068919.2021.v3.i2c.556