2021, Vol. 3, Issue 2, Part B
दलित चेतना को जगाती है श्यौराज सिंह की कहानियॉं
Author(s): प्रियंका कुमारी
Abstract: समकालीन हिन्दी साहित्य में जारी दलित-विमर्श को श्यौराज सिंह बेचैन ने अपने लेखन से धारदार अभिव्यकित दी है और यह सिद्ध किया है कि यथार्थ की जमीं से उपजा दलित साहित्य असल में मानवीय सरोकार का साहित्य है। अगर साहित्य को समाज का दर्पण माना जाता है तो दलित-साहित्य सौ फीसदी उस दर्पण का हिस्सा सिद्ध होता है। यह भोगे हुए यथार्थ का प्रमाणिक दस्तावेज है जो अनुभव की आँच पर तपकर हिन्दी साहित्यिक पटल पर अवतरित हुआ है। दलित साहित्य में जो यथार्थ-सत्य का ताप मौजूद है वैसा किसी अन्य साहित्य में परिलक्षित नहीं होता है। दलितों के संघर्ष, उत्पीड़न, अछूतपन, प्रतिकार, चेतना आदि को उजागर कर सामाजिक न्याय को स्थापित करना ही दलित साहित्य का मुख्य ध्येय हे। इस ध्येय-पूर्ति में दलित कहानियाँ सर्वाधिक सहायक साबित होती है। श्यौराज सिंह ने अपनी विविध कहानियों में इसी तथ्य को स्थापित किया है।
DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i2b.580Pages: 127-132 | Views: 1972 | Downloads: 1436Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
प्रियंका कुमारी.
दलित चेतना को जगाती है श्यौराज सिंह की कहानियॉं. Int J Adv Acad Stud 2021;3(2):127-132. DOI:
10.33545/27068919.2021.v3.i2b.580