2021, Vol. 3, Issue 1, Part F
प्रदीप सौरभ के उपन्यास मुन्नी मोबाईल में वर्णित गोधराकांड का चित्रण
Author(s): अर्चना कुमारी
Abstract: उत्तर आधुनिक युग में इंसान साम्प्रदायिकता के अभिशाप से ग्रसित है। यह अभिशाप सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में विकराल महामारी की तरह फैला है। साम्प्रदायिकता के वजह से धर्म खतरे में पड़ चुका है और धर्म निरपेक्षता विध्वंस के अत्यन्त दुखान्त दौर से गुजर रहा है। धर्म के नाम पर राजनीति करनेवाले सभी दल आज साम्प्रदायिकता को एक कारगर हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके कारण राष्ट्रीय एकता और अखण्डता हाशिये पर नजर आती है। धार्मिक कट्टरपंथी विचारधाराओं से ग्रसित लोगों के कारण इस वसुंधरा को अपनी ही संतानों के लहू से रंजित होना पड़ा है। यह समस्या तत्कालीन भारत की ही नहीं है अपितु यह 1895 और 1899 में कज्हुहुमालाई और सिवाकाली में होनेवाले दंगों से शुरू हुई, और 2020 में दिल्ली में घटित साम्प्रदायिक दंगों तक चली आई हैं। इसके मध्य अलग-अलग शहरों में कई साम्प्रदायिक दंगे हुए, जिनमें कलकत्ता के दंगे (सन् 1946), सिक्ख विरोधी दंगे (1984), कश्मीर दंगे (1986), वाराणसी दंगे (1989), भागलपुर दंगे (1989), कश्मीरी पंडितों का नरसंहार (1991), मुम्बई दंगे (1992), गुजरात दंगे (2002), अलीगढ़ दंगे (2006), देगंगा दंगे (2010), असम दंगे (2012), मुजफ्फरनगर दंगे (2013) आदि शामिल हैं।
DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i1f.851Pages: 474-480 | Views: 496 | Downloads: 170Download Full Article: Click Here
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अर्चना कुमारी.
प्रदीप सौरभ के उपन्यास मुन्नी मोबाईल में वर्णित गोधराकांड का चित्रण. Int J Adv Acad Stud 2021;3(1):474-480. DOI:
10.33545/27068919.2021.v3.i1f.851