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2021, Vol. 3, Issue 1, Part E

भारत के मध्य क्षेत्र के आदिवासियों में धर्म की अवधारणा एवं पूजा विधि (छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर क्षेत्र के विशेष संदर्भ में)


Author(s): डाॅ. विश्वासी एक्का, डाॅ. प्रदीप कुमार एक्का

Abstract: भारत में बड़ी संख्या में आदिवासियों की बसाहट है इन्हें मोटे तौर पर तीन भौगोलिक क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है- पहला उत्तर पूर्वी क्षेत्र दूसरा मध्य क्षेत्र और तीसरा दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र | मध्य क्षेत्र के अंतर्गत बस्तर में गोंड मुरिया भारिया और हल्बी आदिवासी विशेष रूप से बसी हुई है | अन्य क्षेत्र के आदिवासियों की तरह बस्तर के आदिवासियों के जीवन में भी मिथक और लोक कथाएँ बहुत महत्व रखती हैं वहीं वे उनके धार्मिक जीवन को भी संचालित करती हैं | यहाँ मुख्यतः बूढ़ा देव की पूजा की जाती है महादेव पार्वती सृष्टि के सर्जक के रूप में पूजे जाते हैं | बस्तर के लिंगोपारा नामक महाकाव्य में भी वर्णित है कि गोड़ों के मिथकीय नायक लिंगो (महादेव) के नेतृत्व में गोंड़ बस्तर आये | अन्य क्षेत्र के आदिवासियों की तरह बस्तर के आदिवासियों की पूजा विधि भी प्रकृति पर आधारित है अर्थात वे प्रकृति पूजक हैं | उनके धार्मिक जीवन और विश्वास पर सम्यक दृष्टि प्रस्तुत शोध का उद्देश्य है

DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i1e.506

Pages: 345-347 | Views: 973 | Downloads: 586

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How to cite this article:
डाॅ. विश्वासी एक्का, डाॅ. प्रदीप कुमार एक्का. भारत के मध्य क्षेत्र के आदिवासियों में धर्म की अवधारणा एवं पूजा विधि (छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर क्षेत्र के विशेष संदर्भ में). Int J Adv Acad Stud 2021;3(1):345-347. DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i1e.506
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