लोकतांत्रिक अभ्यास एवं भारत में सामाजिक असमानताः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s): सरोज कुमार
Abstract: यह पत्र समकालीन भारत में लोकतांत्रिक प्रथा की भूमिका की जांच करता है, जो प्रति लोकतांत्रिक संस्थाओं के साथ प्राथमिक चिंता से परे है। लोकतांत्रिक अभ्यास की नींव को सुविधा, भागीदारी और इक्विटी (शक्ति का उचित वितरण) के रूप में पहचाना जाता है। भारतीय लोकतंत्र की उपलब्धियों और सीमाओं का आकलन इस प्रकाश में किया जाता है, जिसमें लोकतांत्रिक प्रथा पर सामाजिक असमानता के प्रतिकूल प्रभावों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यह तर्क दिया जाता है कि जहां लोकतंत्र की गुणवत्ता में अक्सर सामाजिक असमानता और अपर्याप्त राजनीतिक भागीदारी से समझौता किया जाता है, वहीं लोकतांत्रिक प्रथा खुद इन कमजोरियों को खत्म करने का एक शक्तिशाली उपकरण है।
सरोज कुमार. लोकतांत्रिक अभ्यास एवं भारत में सामाजिक असमानताः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Adv Acad Stud 2021;3(1):291-293. DOI: 10.33545/27068919.2021.v3.i1d.500