2020, Vol. 2, Issue 4, Part H
पवारी व्युत्पादक रुपिमिक विश्लेषण
Author(s): तुफान सिंह पारधी, डॉ. हर्षलता पेटकर
Abstract: रुपविज्ञान भाषा विज्ञान की एक ऐसी शाखा है जिसके अंतर्गत शब्दों की आंतरिक संरचना का अध्ययन व विश्लेषण किया जाता है। अनेक भारतीय भाषाओं पर रुपिमिक विश्लेषण पर कार्य हुए हैं लेकिन पवारी पर इस लिए पवारी पर रुपिमिक स्तर पर कार्य करना आवश्यक समझा गया है। इसी क्रम में पवारी रूप वैज्ञानिक स्तर पर एक सक्षम भाषा होने के कारण मूल रूप से अनेकों रूपिम व्युत्पादित करने की क्षमता होती है। प्रयोग की दृष्टि से पवारी में उपलब्ध विविध रूपों के कारण रूपवैज्ञानिक स्तर पर समृद्ध भाषा है। प्रस्तुत शोध पत्र में पवारी के लिए व्यूत्पादक रूपिमिक विश्लेषण केंद्र बिन्दु है। पवारी शब्दों की आंतरिक संरचना को समझते हुए व्युत्पादक रुपिमिक विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण करने पर पता चलता है कि पवारी की शब्द संरचना प्रत्यय, उपसर्ग लगने पर किस प्रकार व्याकरणिक स्तर पर परिवर्तन होते हैं। रूप परिवर्तन की प्रक्रिया को शब्दभेद (संज्ञा, विशेषण, क्रिया, क्रिया विशेषण) के आधार पर समझा गया है।
DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i4h.820Pages: 567-571 | Views: 884 | Downloads: 443Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
तुफान सिंह पारधी, डॉ. हर्षलता पेटकर.
पवारी व्युत्पादक रुपिमिक विश्लेषण. Int J Adv Acad Stud 2020;2(4):567-571. DOI:
10.33545/27068919.2020.v2.i4h.820