2020, Vol. 2, Issue 4, Part F
रक्तार्थक-तद्धित-प्रत्ययों का उद्भव और विकास
Author(s): डॉ॰ कविता झा
Abstract: रक्त अर्थ में पाँच प्रत्यय विहित हुए हैं - अण्, ठक्, अन्, कन् तथा अञ्। इनमें से ‘अण्’ प्रत्यय का उद्भव वेदांगों में दीखता है और इसका विकास शिवराजविजय तक हुआ है। ‘ठक्’ प्रत्यय का उद्भव भट्टिकाव्य में दीखता है और इसका विकास नल-चम्पू तक हुआ है। ‘अन्’ प्रत्यय का उद्भव बालचरित में दीखता है और इसका विकास केवल शिवराजविजय में ही उपलब्ध होता है। ‘कन्’ प्रत्यय का उद्भव एवं विकास दोनों ही महाभारत में दीखता है। ‘अञ्’ प्रत्यय का उद्भव ब्राह्मण-ग्रन्थों में दीखता है और इसका विकास नैषधीयचरित तक हुआ है।
DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i4f.421Pages: 340-342 | Views: 1050 | Downloads: 381Download Full Article: Click Here