International Journal of Advanced Academic Studies
  • Printed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

2020, Vol. 2, Issue 4, Part D

महिला सशक्तिकरण, कानूनी प्रावधान एवं प्रभाव


Author(s): ममता कुमारी सिन्‍हा

Abstract: भारत का संविधान कानून के समक्ष सभी नागरिकों की समानता की गारण्टी देता है, फिर भी वास्तविकता यह है कि सदियों से चली आ रही सामाजिक व्यवस्थाओं के दबाव में महिलायें अभी भी अधीनस्थ अवस्था में जी रही है और अपने संवैधानिक अधिकारों को प्राप्त करने में सफल नहीं हुई है। महिलाओं की वास्तविक स्थिति को मान्यता देते हुए, संविधान भीमहिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेद के लिए प्रावधान करता है। बिहार सरकार समानता, सामाजिक न्याय तथा लिंग, जाति, समुदाय, भाषा व धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करने की संवैधानिक गारण्टी हेतु कार्य करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दुहराती है। यह नीति संविधान की इस भावना को अपना प्ररेणा स्रोत मानती है। विश्व विकास के परिप्रेक्ष्य में राजस्थान को महिलाओं के निम्न स्तर, पुरूष प्रधान समाज, सामन्ती प्रथाएँ एवं मूल्यों, जातीयआधारपर घटित सामाजिक ध्रुवीकरण, अशिक्षा एवं अत्यधिक दरिद्रता के पर्याय स्वरूप देखा जाता रहा है। कुछ सीमा तकतो राजस्थान की यह छवि संचार माध्यमों व चलचित्रों की देन हो सकती है, परन्तु एक कटु सत्य यह है कि समाज में बालिकाओं व महिलाओं को अनचाहा बोझ समझा जाता है।

DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i4d.762

Pages: 245-250 | Views: 478 | Downloads: 123

Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
ममता कुमारी सिन्‍हा. महिला सशक्तिकरण, कानूनी प्रावधान एवं प्रभाव. Int J Adv Acad Stud 2020;2(4):245-250. DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i4d.762
International Journal of Advanced Academic Studies
Call for book chapter
Journals List Click Here Research Journals Research Journals