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2020, Vol. 2, Issue 4, Part C


मीडिया जगत के भ्रमजाल को अनावृत्त करती 21वीं सदी की हिंदी गजल


Author(s): राजेश कुमार

Abstract: यह लेख 21वीं सदी की हिंदी आलोचना में मीडिया तंत्र और बाजारवादी प्रवृत्तियों के प्रभाव की गहन विवेचना करता है। इसमें बताया गया है कि कैसे मानव सभ्यता के विकास में ज्ञान के प्रसार और संप्रेषण के साधनोंकृजैसे भाषा, चित्रकला, संगीत और साहित्यकृने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मीडिया, विशेषकर डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों (जैसे टीवी, मोबाइल, इंटरनेट), ने इस प्रक्रिया को अत्यंत तीव्र कर दिया है। लेख यह भी रेखांकित करता है कि मीडिया के इन आधुनिक रूपों ने न केवल संवाद के साधनों को बदला है, बल्कि मानव जीवन के खाली समय, भावनाओं और सोच को भी अपने नियंत्रण में लिया है।

DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i4c.1501

Pages: 180-184 | Views: 94 | Downloads: 24

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How to cite this article:
राजेश कुमार. मीडिया जगत के भ्रमजाल को अनावृत्त करती 21वीं सदी की हिंदी गजल. Int J Adv Acad Stud 2020;2(4):180-184. DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i4c.1501
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