International Journal of Advanced Academic Studies
  • Printed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

2020, Vol. 2, Issue 3, Part G

संकलन-संपादन सँ अतीत मंथन तक


Author(s): डा॰ शीतल कुमारी

Abstract: संस्मरण विधाक प्रादुर्भाव पाश्चात्य साहित्यक प्रभावे ँ हिन्दी, बंगलासँ होइत मैथिली साहित्यमे भेल। स्मरण शब्दक अर्थ भेल मोन पाड़ब ‘सँ’ उपसर्ग लगौने संस्मरणक अर्थ भऽ जाइछ नीक जकाँ मोन पाड़ब। संस्मरणक सम्बन्ध अतीतसँ अछि, यद्यपि संस्मरणक संसार विषयक दृष्टिएँ व्यापक नहि, तथापि संवेदनाक गाम्भीर्य आ आत्मीय स्पर्शक दृष्टिएँ उच्च भावक साहित्यिक विधा अछि। संस्मरण विधा परिमार्जित भऽ चारि भागमे बाँटि- आत्मकथा, जीवनी, यात्रा वर्णन, संस्मरण फराक-फराक श्रेणीमे परिवत्र्तनक संग विस्तार कऽ रहल अछि। संस्मरणक मैथिलीमे बड़ अभाव अछि तथापि किछु ने किछु बरोबरि लिखल जा रहल अछि। एहि क्षेत्रमे सर्वप्रथम छेदी झा अपन जेल जीवनक संस्मरण ‘जेल जीवन यात्रा’ नामसँ मिथिला मिहिरमे प्रकाशित करबैलनि। तकर बाद एहिमे सबसँ अधिक कार्य कैलनि ज्यो. बलदेव मिश्र जे महा.पं. बच्चा झा, म.म. जय देव मिश्र आदि प्रायः दुइ दर्जनसँ अधिक महान स्वर्गीय आत्माक संस्मरण लिखलनि जे प्रायः 1990 ई. केर पश्चात मिथिला मिहिरमे प्रकाशित भेल।

Pages: 504-506 | Views: 954 | Downloads: 527

Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
डा॰ शीतल कुमारी. संकलन-संपादन सँ अतीत मंथन तक. Int J Adv Acad Stud 2020;2(3):504-506.
Important Publications Links
International Journal of Advanced Academic Studies

International Journal of Advanced Academic Studies

International Journal of Advanced Academic Studies
Call for book chapter