मिथिलाक माटि-पानि पर आधारित यात्रीक ग्राम्य जीवन
Author(s): डाॅ. प्रदीप कुमार
Abstract: मैथिली साहित्य मुख्यतः मिथिलाक माटि-पानि पर अधारित रहल अछि। फलतः एहिमे साहित्यकार लोकनि ग्राम्य जीवनक सम्पूर्ण चित्रण करवाक प्रयास करैत रहलाह अछि। स्वतंत्रता पूर्व मैथिली मे लिखल गेल उपन्यास मे मात्र ग्रामीण परिवेशक चित्रण अछि जखन कि स्वतंत्रताक पश्चात् मैथिलीक उपन्यास मे शहरी परिवेश क चित्रण सेहो अछि। यात्रीक मैथिली उपन्यास ‘परो’ तथा ‘नवतुरिया’ मुख्यतः गाम्य जीवन पर आधरित अछि। 1946 मे प्रकाशित पारो उपन्यास वैवाहिक समस्या पर लिखत गेल अछि। एहि मे पारो आ बिरजूक प्रेम कथा तथा दुनुमे पत्राचारक वर्णन अछि। संगहि बहु-विवाह, अनमेल विवाह, घटकैती, मधुश्रावणी मे टेमी दगबाक, पुछारिक भार तथा अगिलग्गी आदिक चित्रण अछि।
Pages: 501-503 | Views: 628 | Downloads: 361Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
डाॅ. प्रदीप कुमार. मिथिलाक माटि-पानि पर आधारित यात्रीक ग्राम्य जीवन. Int J Adv Acad Stud 2020;2(3):501-503.