2020, Vol. 2, Issue 2, Part B
मैथिली साहित्यपर राजकमलक प्रभाव
Author(s): डाॅ॰ रौशन कुमार यादव
Abstract: संसार परिवर्तनशील होइत अछि। एकरा ईहो कहि सकै छी जे परिवर्तने संसारक नियम थीक। संसारक एहि परिवर्तनक निमयक असरि साहित्योपर पडैत अछि, आ साहित्यमे सेहो परिवर्तन होइत रहल अछि। भाषासेहो एकर अपवाद नहि। संस्कृतकेँ देव भाषा कहल जाइत अछि, अर्थात् संस्कृत देवताक भाषा थिक। संस्कृतक ँ भारतीय भाषाक जननी सेहो कहल गेल अछि। अपना समयमे अर्थात् आदिकालसँ मध्यकालमे संस्कृत एकटा अकबाली भाषाक रूपमे देखाइ पडैछ। संस्कृतक पंडितलोकनि संस्कृत छोड़ि आन सभ भाषाकँ हेय दृष्टिसँ देखैत छलाह, ओ लोकनि मैथिलीमे लिखब वा पढ़ब हीनक बुझैत छल। विश्वक इतिहासमे एहन देखल गेल अछि जे कोनो देश अथवा भाषा इतिहासमे कोनो ने कोनो रूपमे क्रान्तिकारी पुरुष जन्म लैत रहल छथि।
DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i2b.170Pages: 110-111 | Views: 2366 | Downloads: 1540Download Full Article: Click Here