2020, Vol. 2, Issue 1, Part F
रामधारी सिंह दिवाकर के उपन्यासों में युगबोध
Author(s): नन्दनी कुमारी
Abstract: आज की बदली हुई परिस्थिति में गाँव की स्थिति ऐसी बनकर रह गयी है कि अपने ही खेत में अपने हाथों से खेती करने वाला व्यक्ति हेय दृष्टि से देखा जाता है। दूसरी ओर येन-केन प्रकारेण पैसा बटोरने वाले भ्रष्ट चरित्र समाज के लिए आदरणीय एवं आदर्श बन गये हैं। आज बस पैसा, मात्र पैसा ही सामाजिक प्रतिष्ठा का आधार बन गया है।
DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i1f.422Pages: 323-326 | Views: 1444 | Downloads: 743Download Full Article: Click Here