बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ
Author(s): रंजीता कुमारी
Abstract: स्वस्थ रहने का तात्पर्य शारीरिक, मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना हैं। स्वास्थ्य किसी भी समाज में प्रगति के लिए अनिवार्य हैं। बेहतर स्वास्थ्य के अभाव में समाज पिछड़ जाता हैं। बिहार की अधिकांश आबादी गाँवों में रहती हैं, लेकिन शहरों की अपेक्षाकृत गाँवों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होता हैं और जब तक गाँव-गाँव में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच नहीं हो जाती हैं तब तक देश का समुचित विकास नहीं हो सकता हैं। बिहार की अधिकांश आबादी गाँवों में रहती हैं। बिहार में कुल आबादी में ग्रामीण आबादी का हिस्सा 88.7 प्रतिशत हैं, जबकि शहरी आबादी 11.3 प्रतिशत हैं। इस कारण बिहार हिमाचल प्रदेश के बाद देश का दूसरा सबसे कम शहरीकरण वाला राज्य हैं। वर्ष 2001 और 2011 के बीच बिहार में शहरीकरण की दर में मात्र 0.8 प्रतिशत वृद्धि हुई जो 2001 के 10.5 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 11.3 प्रतिशत पहुँचा हैं। वहीं गत दशक के दौरान देश में शहरीकरण के स्तर में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं।देश की कुल आबादी में बिहार का हिस्सा 8.58 प्रतिशत हैं। स्पष्ट हैं इतनी बड़ी आबादी के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुँचाना आसान काम नहीं हैं। सभी को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने के लिए सर्वप्रथम जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी हैं। बिहार में जागरूकता की कमी हैं। जागरूकता पैदा करने में सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संगठनों की भूमिका अहम हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सर्वप्रथम विभाग में लगी भ्रष्टाचार की दीमक को साफ करना होगा। साथ ही सामाजिक स्तर पर भी नजरिया बदलने के प्रसास करने होंगे।