Abstract: हल्दीघाटी राजस्थान की दो पहाड़ियों के बीच एक ऐसी पतली सी घाटी है, जहाँ की मिट्टी के रंग हल्दी जैसे थे, जिसके कारण उसे हल्दीघाटी कहा जाता है। इतिहास का ये युद्ध हल्दीघाटी के दर्रे से शुरू हुआ था। हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने अकबर को हरा दिया था। राष्ट्रप्रेमी महाराणा प्रताप अपनी कसम को बचाए रखने के लिए घास रोटी की देश रक्षा हेतु खाते रहे। अपने नन्हे-मुन्हें बच्चों सहित जंगलों में रहते रहे हैं। 21 जून, 1976 में हुए हल्दीघाटी युद्ध। इसमें कुछ मदभेद है। हल्दीघाटी का युद्ध और राणा का योगदान विश्व में अविश्मरणीय है। महाराणा पकी अक्षुण्ण वीरता धर्मनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता और देश सेवा ही नहीं, बल्कि चंचल गति चेतक घोड़ा का हवा से बाते करना, चंडिका की जीभ की तरह लपलपाती हुई रूधिर-प्रस्त्रविणी तलवार का बिजली की तरह गिरना, रक्ततपिष तीव्र भाले का ताण्डव, झाला मात्रा और मानसिंह प्रभृति सरदारों का आत्म विसर्जन वीर सिपाहियों का आजादी के लिए खेलते-ख्ेालते-हल्दीघाटी के महायज्ञ में आहुति बनकर स्वाहा हो जाना। महाराणा प्रताप के भुख और प्यास के मारे तड़पते हुए बच्चों का करूण कन्दर और प्रताप के प्राणों के दीपक के उजियाले ये वन-वन पलायिता स्वतन्त्रता की टोह लगाना आज भी आखों के सामने चलता हुआ दृश्य उपस्थित हो उठता है।