2020, Vol. 2, Issue 1, Part D
मैथिली कथा साहित्यमे लिलीरेक योगदान
Author(s): विजय शंकर पंडित
Abstract: लिलीरेकें कथा कहऽ अबैत छन्हि। हिनक कथा कहवाक शैली शास्त्रीय संगीत पर आधारित रहैत अछि। राग-रागिनीक राग-ताल आ लयमे निवद्ध हिनक कथा क्रमिक आरम्भ होइत अछि, बढ़ेत जाइत अछि आ पाठक-पाठिकाक प्राण चेतनाकें सम्मोहित कऽ लैत अछि। हिनक कथामे चित्रात्मक वर्णन भेटैत अछि। जेना लिलीरे जखन भोजनक चर्चा करैत छथि तँ मात्र भोजन कहिकऽ नहि निकलि जाइत छथि। ओ भनसाघरक सेहो चर्चा करैत छथि। चुल्हा-चैकीक गप्प सेहो करैत छथि। तरकारी तीमन, मसाला, भनसाघरमे सासु पुतोहुक आ दियादनीक गप्प करैत छथि। बहिनदाइ, भौजी, बेटी-भतीजी सभक गप्प करैत छथि। एहि तरहें ई अपन कथाक माध्यम सँ रोचक तथ्य प्रस्तुत करबामे सक्षम भऽ जाइत छथि। लिलीरे कठिनसँ कठिन बात कहैत छथि मुदा कहबाक ढंग तेहन ललितगर होइत छन्हि जे हिनक कथा अन्यन्त चर्चित आ लोकप्रिय भऽ जाइत छन्हि। हिनक कथामे उत्सुकता बनल रहैत अछि। उत्सुकता क्रमिक बढत जाइत अछि। बीच-बीचमे रसक वर्षा करैत जाइत छथि। लोक जतबाकाल हिनक कथा पढेत रहैत अछि, दिन दुनियाँ बिसरि जाइत अछि। हिनक कथाक अन्त स्वाभाविक रूपमे होइत अछि। कतहु कोनो चमत्कार नहि। कतहु कोनो नाटकीयता नहि। सहज स्वाभाविक रूपमे कथाक अन्त होइत छैक। ई कथामे कतहु झुठ बात नहि लिखैत छथि। हिनक कथ्य, कथानक, पात्र, वातावरण सबटा हिनक अप्पन जीयल, देखल, भोगल रहैत छन्हि। यैह कारण अछि जे हिनक कथा विश्वसनीय होइत अछि।
DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i1d.219Pages: 246-247 | Views: 1270 | Downloads: 327Download Full Article: Click Here