असगर वजाहत के उपन्यासः किसान विषयक समस्याओं का समीक्षात्मक अध्ययन
Author(s): पुनीता कुमारी
Abstract: समकालीन उपन्यासकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनानेवाले माक्र्सवादी समर्थक असगर वजाहत ने अपने औपन्यासिक कथ्य के माध्यम से भारतीय सामाजिक जीवन को उसकी पूरी जटिलता के साथ उद्घाटित किया है। असगर वजाहत ने अपने उपन्यासों में स्वतंत्रता पूर्व से लेकर स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद अर्थात् वत्र्तमान में किसान जीवन की समस्याओं को अपने उपन्यास में पूर्णरूपेण परिलक्षित किया है। पूँजीवादी विकास के बढ़ते प्रभाव के साथ किसान जीवन के लिए बढ़ती समस्याएँ राष्ट्रीय स्तर पर है। विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत किसान को कितनी हानि सहनी पड़ती है तथा इन योजनाओं के पीछे योजनाकारों की छुपी स्वार्थ-लोलुपता का पर्दाफाश किया गया है। इन योजनाओं के अंतर्गत सहकारी फार्म, सीलिंग योजना, ऋण से संबंधित कुछ योजनाएँ इत्यादि, किसानों को खाद, उर्वरक, कीटनाशक इत्यादि के लिए दी जाती है। भारत के छोटे-बड़े कितने प्रतिशत किसानों को इन योजनाओं का लाभ मिलता है? इन योजनाओं ने किसान का शारीरिक और मानसिक शोषण किस प्रकार किया है? इतनी सारी सुविधाएँ मिलने के बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? पेटेन्टीकरण की प्रणाली ने किसानी जीवन में किस प्रकार हस्तक्षेप किया है? बिजली की सुविधा लेने के बाद किसान बिजली बिल चुकाने में क्यों असमर्थ हैं? संपूर्ण भारत के लिए जो अन्न उपजाते हैं, उनकी स्वयं की जिंदगी इतनी गरीबी और फटेहाली में क्यों कट रही है? भूमिहीन किसान की स्थिति अधिकतर आत्महत्या वाली ही क्यों होती है? इन सारी समस्याओं का उल्लेख वजाहत जी ने अपने उपन्यास में विस्तारपूर्वक किया है। इन सारी समस्याओं के पीछे जो सर्वप्रमुख समस्या है, वह पूँजी की समस्या है। पूँजीपतियों ने अपने पूँजी (अर्थ) के बल पर किसान का जमकर शोषण किया है और निरंतर करता जा रहा है। अतः सरकार उचित समर्थन मूल्य तथा आर्थिक सहयोग के द्वारा स्थिति परिवर्तित कर सकती है।
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पुनीता कुमारी. असगर वजाहत के उपन्यासः किसान विषयक समस्याओं का समीक्षात्मक अध्ययन. Int J Adv Acad Stud 2020;2(1):234-236.