Abstract: भारतीय दर्शन में प्रमाण उसे कहते हैं जो सत्य ज्ञान करने में सहायता करे। अर्थात् वह बात जिससे किसी दूसरी बात का यथार्थ ज्ञान हो। प्रमाण एक मुख्य विषय है। ‘प्रमा’ का अर्थ होता है- यथार्थ ज्ञान। यथार्थ ज्ञान का जो करण हो अर्थात् जिसके द्वारा यथार्थ ज्ञान हो उसे प्रमाण कहा जाता है। भारतीय दर्शन में प्रमाणों की संख्या चार बतायी गई है- प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान और शब्द।