2020, Vol. 2, Issue 1, Part B
राजकमलक अन्यान्य कृतिक विश्लेषण
Author(s): डाॅ॰ रौशन कुमार यादव
Abstract: मैथिली साहित्यक सरोवरमे राजकमल चैधरीक नाम प्रायः सभ विधामे कमल फूल जकाँ मुसुकाइत देखल जाइत अछि। एहिमे कोनो संदेह नहि जे राजकमक सभ रचना मैथिली साहित्यके ँएकटा नव बाट देखौलक अछि, साहित्य मध्य पसरल जड़तापर प्रहार करब हिनक रचनाक मुख्य उद्देश्य रहल अछि। हिनकएक-एकटा कथा, उपन्यास वा कविता मैथिली साहित्यमे मणि सदृश अछि। हिनक संकलित रचनाके ँ छोड़ि बहुत रास रचना विभिन्न पत्र-पत्रिकामे छिड़िआयल अछि। एहिमे किछु निबंध तऽ किछु आलोचना,एकांकी, प्रहसन, कविता आदि अछि।एतय हिनक अन्यान्य कृति सभमे हफीम (प्रहसन), महाकवि विद्यापति (एकांकी), अन्हार घर साँपे-साँप (निबन्ध), कथा समाप्तिक विघटन आ समस्या (समीक्षात्मक निबन्ध), हमरा लोकनिक युग आ आधुनिक मैथिली कविता (समीक्षात्मक निबन्ध), परिचय (कविता), मुक्ति प्रसंग (अनूदित कविता) आदि विवेच्य विषयक रूपमे प्रस्तुत अछि।
DOI: 10.33545/27068919.2020.v2.i1b.167Pages: 137-139 | Views: 1336 | Downloads: 550Download Full Article: Click Here