2019, Vol. 1, Issue 2, Part C
स्वाधीन भारत के राजनीतिक जीवन की अभिव्यक्ति
Author(s): मुकेश कुमार महतो
Abstract: स्वाधीनता की प्राप्ति के पश्चात् समग्र देशवासियों के समक्ष ऐसे वातावरण को उपस्थित करने की आवश्यकता थी जिसमें उन्हें स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए हर प्रकार से शक्ति सम्पन्न होने, एकता एवं शांति को स्थापित करने तथा निद्वन्द्व रूप से प्रगति पथ पर अग्रसर होते रहने की प्रेरणा मिल पाती। परन्तु देश के अधिकांश नेताओं और अन्य अधिकारियों ने राष्ट्र-सेवा की अपेक्षा स्वार्थ-सिद्धि को ही अधिक महत्त्वपूर्ण माना। परिणामतः व्यावहारिक स्तर पर अधिक लोगों में राष्ट्रीयता की सच्ची भावना का अभाव ही दिखाई पड़ता रहा। यही कारण है कि अपेक्षित मात्रा में न तो नागरिकों का नैतिक उन्नयन ही संभव हो सका और न देश स्वावलम्बी ही बन सका। फिर भी, अनेक प्रकार की योजनाओं द्वारा देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने का प्रयास किया जाता रहा है। स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी नाटकों में इन सभी राजनीतिक स्थितियों का प्रदर्शन किया गया है।
DOI: 10.33545/27068919.2019.v1.i2c.458Pages: 243-245 | Views: 1217 | Downloads: 412Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
मुकेश कुमार महतो.
स्वाधीन भारत के राजनीतिक जीवन की अभिव्यक्ति. Int J Adv Acad Stud 2019;1(2):243-245. DOI:
10.33545/27068919.2019.v1.i2c.458