2019, Vol. 1, Issue 2, Part C
मेघदूत में निहित प्रेम तत्त्व की प्रासांगिता
Author(s): प्रशांत कुमार
Abstract: स्थान और समय की सीमा से बहिर्गमन करने का एक पथ योग हैं, परन्तु उसका द्वितीय पथ प्रेम के अन्तःकरण से भी निकलता है। प्रेम की उदार स्थिति यह भी हैं, जो योग एवं समाधि से मिलती-जुलती है। योग की ही भांति देश और काल के क्षेत्र से बाहर निकल कर अतिशय आनन्द की सीमा में समाविष्ट कर देने की क्षमता नर-नारी के प्रेम में समाहित है।
DOI: 10.33545/27068919.2019.v1.i2c.420Pages: 239-242 | Views: 2860 | Downloads: 2040Download Full Article: Click Here