प्रेमचंद के उपन्यास में बाल-चरित्र: मानवीय संवेदना का उत्कर्ष
Author(s): शशि प्रभा
Abstract: कथा-सम्राट प्रेमचंद ने अपने उपन्यासों में जिस प्रकार के बाल-चरित्र की कल्पना की है, वह मानवीय संवेदना से परिपूर्ण हैं इनके बाल-चरित्र कहीं भी दब्बू, कमजोर, कायर या हतदर्प नहीं दिखाई देते हैं। अपने आसपास तमाम सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक तथा आर्थिक समस्याओं से टकराते हुए ये बाल-चरित्र स्वयं अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते नजर आते हैं। प्रेमचंद के उपन्यासों में उपस्थित बाल-चरित्र समाज की संवेदना को जागृत करने में अत्यंत सफल है।
Pages: 196-199 | Views: 560 | Downloads: 259Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
शशि प्रभा. प्रेमचंद के उपन्यास में बाल-चरित्र: मानवीय संवेदना का उत्कर्ष. Int J Adv Acad Stud 2019;1(2):196-199.