2019, Vol. 1, Issue 2, Part B
भारतीय राष्ट्रवाद की सामाजिक पृष्ठभूमि
Author(s): सुजाता कुमारी
Abstract: मानव जीवन में राष्ट्रवाद की भूमिका के निर्णायक महŸव के कारण संमार में कुछ सर्वश्रेष्ठ चिंतकों ने, पिछले वर्षों में राष्ट्रवाद को अपने अन्वेषण और अध्ययन का विशिष्ट क्षेत्र बनाया है। राष्ट्र किन तŸवों से बना है, किन सामाजिक ऐतिहासिक स्थितियों में राष्ट्र का उद्भव हुआ, मानव प्रगति की दिशा में राष्ट्रवाद का क्या अनुदान है, मानव वे अन्तर्राष्ट्रीय एवं विश्वजनीन एकीकरण की आकांक्षा से इसका क्या संबंध है, इन सारी समस्याओं के विवेचन और समाधान की चेष्टा हुई है।
सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्रो में राष्ट्रवादी भावनाओं के प्रतिफलन और उनकी अभिव्यक्ति की मीमांसा की गई है। विद्वानों ने विभिन देशों में राष्ट्रवाद के उद्भव और प्रसार का अध्ययन किया है और अलग-अलग देशों में इसके विकास के आनुवंशिक कारकों की गवेषणा की है, जिसे समझने की कोशिश की है। राष्ट्रवाद पर लिखा गया अभिनव साहित्य राष्ट्रों के रूप निरूपण की जटिल बहुविध प्रक्रिया, उनके लक्षण, संघर्ष और आत्माभिव्यक्ति की रीति आदि विभिन्न विषयों पर प्रचुर प्रकाश डालता है। प्रत्येक देश में राष्ट्रवाद का अपना विशिष्ट, अनन्य रूप है। अतः किसी भी देश की राष्ट्रीयता का अध्ययन अपने आप में पृथक् कार्य है।
Pages: 105-107 | Views: 5750 | Downloads: 4922Download Full Article: Click Here